नमस्कार दोस्तों, मैं प्रकाश भोसले !
(NewswireOnline):- आज फिल्म-टीवी उद्योग मुसीबत में है, राष्ट्रव्यापी लॉकडाऊन के कारण यह इंडस्ट्री एक बड़े संकट से गुजर रही है । उसके बाद, मनोरंजन क्षेत्र के कुछ कलाकारों की गंभीर निराशा के कारण आत्महत्या करने की खबर मिली । यह बहुत ही गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है । इस संदर्भ में, मैं सिने-कर्मियों की ओर से मीरा-भायंदर की विधायिका श्रीमती गीता भरत जैन जी से मिला और कई मुद्दों पर बातचीत की ।
मैं : लॉकडाउन ने फिल्म और मनोरंजन इंडस्ट्री को बंद स्थिति में ला दिया है, इस क्षेत्र में काम करने वाले कलाकारों, उद्यमी और श्रमिकों को प्रभावित किया है । जन प्रतिनिधि के रूप में आपकी क्या भावनाएं हैं?
गीता जी: इस इंडस्ट्री में काम करने वाले कलाकारों, तकनीशियनों और कारीगरों को पर-डे के आधार पर वेतन दिया जाता है । जिस दिन आपने काम किया, उसके लिए पैसे लेना, ऐसा उनकी कमाई का स्वरूप है । इसी तरह उन लोगों का पेट भरता है । कोरोना लॉकडाउन मनोरंजन क्षेत्र में काम करने वालों के लिए बहुत सारी समस्याएं पैदा कर रहा है । अस्थिर आमदनी और कम बचत की वजह से इस क्षेत्र में काम करनेवाले कलाकारों, तकनीशियनों और श्रमिकों का जीवन बहुत मुश्किल और निराशाजनक बन गया है ।
मैं: मीरा-भायंदर को अब मिनी बॉलीवुड सिटी के रूप में जाना जा रहा है, इसे आप कैसे देखती हैं ।
गीता जी: हाँ , यह सच है और मैं इसे लेकर खुश हूँ । बांद्रा, अंधेरी, गोरेगांव फिल्म सिटी में पहले से ही प्रसिद्ध मनोरंजन स्टूडियो हैं; लेकिन समय के साथ, मीरा रोड में भी कई स्टूडियो स्थापित किए गए । कई मराठी और हिंदी भाषा की फिल्मों और टीवी सीरियल्स की शूटिंग यहां हो रही है । मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि मीरा रोड में ‘चला हवा येऊ द्या’ जैसे लोकप्रिय मराठी कार्यक्रमों की शूटिंग होती है । यही कारण है कि मीरा रोड शहर अब मिनी बॉलीवुड सिटी के रूप में जाना जाता है ।
मैं: मीरा-भायंदर शहर सिने-मनोरंजन कर्मीयों के लिए निवास का एक नया केंद्र बन गया है, पर उनकी अपनी कई समस्याएँ हैं ।
गीता जी: अंधेरी-गोरेगांव की तरह, मीरा-भायंदर में गुणवत्तापूर्ण और कम लागत वाले किफायती घर उपलब्ध हैं । नतीजतन, मनोरंजन क्षेत्र में काम करनेवाले १०,००० से अधिक लोग मीरा-भायंदर में रहते हैं, कई स्टूडियो और मनोरंजन क्षेत्र संबंधित व्यवसाय भी यहाँ बढ़ गए हैं, इसलिए कई सिने-टीवी कलाकारों, तकनीशियनों और सिने-श्रमिकों ने मीरा-भायंदर शहर को अपने निवास के लिए चुना है । अपने निर्वाचन क्षेत्र के जनप्रतिनिधि के रूप में, मैं उनकी समस्याओं को सरकार के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगी ।
मैं : अपने चुनाव अभियान के दौरान, आपने अपने घोषणा पत्र में मीरा-भायंदर में रहनेवाले लोगों के लिए फिल्म और मनोरंजन का संपर्क केंद्र निर्माण करने लिए एक कला अकादमी स्थापित करने का वादा किया था । यह क्या संकल्पना है?
गीता जी: जी हाँ, मीरा-भायंदर शहर अब मनोरंजन क्षेत्र के कई लोगों का घर बन चूका है, कई उभरते हुए कलाकार यहाँ रहते है, जो मनोरंजन क्षेत्र में काम करने का सपना लेकर मुंबई आते हैं । कई स्टूडियो यहाँ स्थापित किए गए हैं । इस क्षेत्र में प्रवेश करने के इच्छुक कलाकारों और कर्मचारियों के लिए यहाँ फिल्म उद्योग का संपर्क केंद्र बनाने के लिए एक कला अकादमी स्थापित करने का मैं प्रयास करूंगी । ताकि मीरा-भायंदर में रहनेवाले मनोरंजन के क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए रुचि रखने वाले युवा लड़कों और लड़कियों के लिए मनोरंजन के क्षेत्र में पैर जमाना आसान हो ।
मैं : फिल्म निर्माताओं के कई सवाल और दर्द हैं । इससे बाहर निकलने का रास्ता कैसे निकालें ?
गीता जी: हमें ‘संवाद से संतुष्टि’ इस सिद्धांत पर काम करना हैं । जिसमें से हम एक विधायक के रूप में मिले प्राप्त अधिकारों और प्रस्तावों का समुचित उपयोग कर सकते हैं ।………………………………………
मीरा-भायंदर में मनोरंजन उद्योग के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक लेखक और मीडियाकर्मी के रूप में अपने सहयोगियों के सहयोग से मीरा-भायंदर की विधायिका गीता जैन के साथ हुई मेरी एक बातचीत है । कई मीडिया और सिने कार्यकर्ताओं, साथ ही साथ उनके विभिन्न संगठनों और कार्यकर्ताओं से मेरा अनुरोध है कि मेरे साथ संपर्क में रहें । इस तरह से एक साथ आने से ही इन सभी सवालों को हल किया जा सकता है ।
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आपका
प्रकाश भोसले
लेखक, सदस्य – स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन